भारत देश हमारा एक धार्मिक पूर्ण और सांस्कृतिक देश हैं, यहाँ हर त्यौहार को बड़े धूमधाम से मानते हैं, यह हर एक त्यौहार का अपना अपना महत्व होता हैं. ऐसे ही एक पवित्र त्यौहार का नाम हैं जन्माष्टमी, जो की भगवान् श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य मे मनाया जाता हैं, यह त्यौहार श्रवण के महीने के अंत मे या भादो के प्रारंभ मे पड़ता हैं, हिन्दू कैलेंडर के अनुसार अष्टमी तिथि को होता हैं. जन्माष्टमी का पूरा माहोल ही भक्ति,उत्सव और हर्सौल्लास से भरा होता हैं. इस निम्बंध भरें ब्लॉग में हम जन्माष्टमी का महत्व, इतिहास, मनाया जाने का तरीका और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे मे चर्चा करेंगे.
Janmashtami का इतिहास का महत्व:
जन्माष्टमी का त्योहार द्वापर युग मे हुए भगवान कृष्ण की जन्म की याद में मनाया जाता है। कहा जाता है कि कृष्ण के जन्म मथुरा नगरी में रात के 12:00 बजे भयंकर अंधकार और अत्याचार के समय हुआ था, उस समय मथुरा के राजा कंस, अपनी बहेन देवकी के संतानों को मार रहा था। उन्होंने सात संतान कों को मार डाला था, क्योंकि एक भविष्यवाणी के अनुसार उसका विनाश उसी के भतीजे के हाथ होने वाला था। इस भय और पाप भरे माहौल में भगवान कृष्ण का जन्म, एक प्रकाश की तरह हुआ जिन्होंने बाद में कंस का नाश किया और धर्म को बनाए रखा और उसकी स्थापना की.
जन्माष्टमी हमे सत्य न्याय और प्रेम की सीख देती हैं यह त्यौहार केवल एक धार्मिक उत्सव नही, बल्कि एक अध्यात्मिक जागरण का सन्देश भी देती हैं. कृष्ण के जीवन से हमें बचपन में शरारत, जवानी में प्रेम , और व्यक्ति के रूप मे धर्म का प्लान करने की प्रेरणा मिलती है।
Janmashtami का Utsav –: मनाने का तरीका
जन्माष्टमी का महत्व
Janmashtami भारत के लगभग हर कोने में मनाई जाती हैं लेकिन मथुरा, वृंदावन, गोकुल और द्वारका में इस त्योहार का विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, भगवान कृष्ण के भजनों का पाठ करते हैं और रात के 12:00 बजे कृष्णा जन्मोत्सव मनाते हैं। हालांकि, विदेशों में भी यह पर्व श्रद्धा से मनाया जाता है।
1. व्रत और उपवास
भक्त लोग Janmashtamiके लिए निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं। रात में भगवान कृष्ण के जन्म के बाद प्रसाद लेते हैं। उपवास का उद्देश्य शारीरिक शुद्धि के साथ-साथ मन और आत्मा की शुद्धि भी होता है।
2. मंदिर और घर की सजावट
मंदिर और घरों को फूलों, झांकियों और रोशनियों से सजाया जाता है। छोटे-छोटे झांकियां बनाई जाती हैं, जिनमें कृष्ण जन्म, माखन चोरी और रासलीलाओं के दृश्य प्रस्तुत किए जाते हैं। बच्चे कृष्ण और राधा के रूप में तैयार होकर सबका मन मोह लेते हैं।
3. दही हांडी
जन्माष्टमी का एक और विशेष कार्यक्रम होता है — दही हांडी। यह विशेषकर महाराष्ट्र में लोकप्रिय है। इसमें एक मटकी में दही, माखन और मिश्री भरकर उसे ऊंचाई पर लटकाया जाता है, और युवा मानव पिरामिड बनाकर उसे तोड़ते हैं। यह कृष्ण के बचपन की माखन चोरी की लीला की याद दिलाता है।
4. भजन और कीर्तन
इस पवित्र रात्रि में लोग जागरण करते हैं और भगवान कृष्ण के भजन तथा कीर्तन गाते हैं। “हरे कृष्णा”, “राधे कृष्णा” जैसे नामों का जप पूरे वातावरण को भक्तिमय और पवित्र बना देता है।
भगवान कृष्ण के जीवन में कई ऐसे पथ हैं जो हर युग में प्रासंगिक हैं , उनका कर्म करो फल की चिंता मत करो बाला संदेश गीता में दिया गया है सबसे महत्वपूर्ण ज्ञान है। उन्होंने बताया कि जीवन में कर सबसे बड़ा धर्म है रासलीला का माध्यम से उन्होंने प्रेम और भक्ति की शक्ति को दर्शाया और महाभारत का युद्ध में अर्जुन को मार्गदर्शन देकर युद्ध को धर्म का रूप दिया। और सत्य की विजय मे साथ दिया.
समाज पर इस त्यौहार का प्रभाव:
Janmashtami के जरियें बच्चों और युवाओं में भगवान कृष्ण के गुणों जैसे बुद्धि साहस प्रेम और धैर्य का विकास होते हैं। घर और समाज में भक्ति भाव बढ़ाता है लोगों में परस्पर प्रेम और सहयोग का भाव जगाता है। त्यौहार समाज में एकता और संस्कृति विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।
जन्माष्टमी एक एसा पवित्र त्योहार है जो हमें भक्त प्रेम सत्य और न्याय की ओर अग्रसर करता है. यह त्योहार केवल भगवान कृष्ण के जन्मदिन की याद नहीं बल्कि उनकी जीवन से प्रेरणा लेने का अवसर प्रदान करता है। आज के युग में जहाँ लोग आपने स्वार्थ में उलझे हुए हैं, वहाँ शिक्षा का जीवन और उनकी बातें एक मार्गदर्शक के रूप में। हमें जीवन जीने की सही दिशा दिखाती है यह जन्माष्टमी पर हम सबको संकल्प लेना चाहिए कि हम भी अपने जीवन में धर्म प्रेम और सत्य को अपनाएंगे.
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